Saturday, August 22, 2020

कुशीनगर में सांसद सहित 91 नए कोरोना पॉजिटिव मिले, अब तक 14 मौतें

 कुशीनगर में शुक्रवार को सांसद विजय दुबे समेत 91 नए कोरोना पॉजि‍टिव पाए गए। पड़रौना के साहबगंज मोहल्ला निवासी 55 वर्षीय व्यक्ति की कोरोना से इलाज के दौरान बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर में मौत हो गई।

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https://www.livehindustan.com/uttar-pradesh/kushinagar//story-mp-vijay-dubey-and-90-other-corona-positive-found-in-kushinagar-3434477.html

Monday, August 3, 2020

सेठ घनश्याम दास खेतान बाल विद्या मंदिर के किस्से

कक्षा ७ की बात है| 
मैं और प्रभाकर अपने हाइट के हिसाब से सबसे आगे वाली बेंच पे बैठते थे | गुप्ता सर की अंग्रेजी की क्लास चल रही थी | 
सरजी को प्यास लगी तो बोले "जाओ दाई को बोल दो पानी ले आये पीने के लिए" | 
मैं भाग के गया और दाई को बोलकर वापिस आ गया और अपनी सीट पर बैठ गया | 
फिर मैंने प्रभाकर को कहा "देखना सरजी अभी छौ गिलास पानी पिएंगे" 
प्रभाकर ने कहा "नहीं जी सात गिलास पीते हैं "| 
फिर फाइनल हुआ चलो गिन लेते हैं आज 
इतनी देर में दाई पानी लेकर आ गयीं सिलसिला शुरू हुआ गिलास पे गिलास का सरजी जैसे जैसे पानी का गिलास ख़त्म करते जा रहे थे, हम दोनों साथ साथ सुर में सुर मिलाते हुए गिनते जा रहे थे 
एएएएएक 
दोओओओओ 
तीइइइनननन 
चाआआरररर 
पाँआआआचचच 
छौऔऔऔ 
और ये साततततत 

और जैसा कि मैंने पहले बताया, कि हाइट के हिसाब से हम दोनों छोटे बालक सबसे आगे वाली बेंच पे बैठते थे | हाइट के जैसे ही बुद्धि भी कम ही थी हमारी शायद | हमारी बेंच और सर जी की टेबल के बीच कुछ दो हाथ का ही फ़ासला रहा होगा | और सर जी ने हमारे सारे सुर लय ताल सुन लिए थे | 
उसके बाद असली संगीत शुरू हुआ,  सर जी के हाथ का डस्टर और हमारी पीठ का जो मिलन हुआ वो भूले नहीं भूलता है | 
और हम दोनों सिर्फ यही कहते रहे "अरे सरजी अब नहीं अब नहीं" 

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Sunday, August 2, 2020

सेठ घनश्याम दास खेतान बाल विद्या मंदिर के किस्से

मैं नया नया आया था स्कूल में. कक्षा 2 में था मैं. मुझे पापा ने नया बस्ता और नया पेंसिल बॉक्स दिलाया था. पेंसिल बॉक्स को हम औजार बक्सा कहते थे. वही जिसपे फोटो लगी होती थी, एक सैनिक बन्दूक चलाता हुआ. याद आया? रेनू सिस्टर की क्लास ख़त्म हुई थी, अभी अगली क्लास का टाइम होने वाला था कि मैंने देखा मेरा औजार बक्शा पडोसी के डेस्क में. उस पडोसी का नाम नहीं याद अब. मैंने आव देखा न ताव बोला "हमारा है बक्शा हमको दो". सामने से जवाब आया "नहीं ये हमारा है" इतना बहोत था उस उम्र को रुलाने के खातिर, दोनों के आंसू बॉर्डर लाइन पे और गला आधा भरा हुआ. फिर दोनों ने फिर से प्रयास किया और, "हमारा है बक्शा हमको दो न, हमारे पापा कीन के ले आये हैं" "नहीं ये हमारा है" इससे पहले कि आंसुओ का सैलाब आता. एक फरिश्ता पीछे से मस्त घूमता टहलता आया और बोला तुम लोग अपना अपना बस्ता देखो न पहले। मेरा बक्सा वही मेरे बस्ते में ही था। कट्टी होते होते बच गयी। आपका भी हो कोई किस्सा तो हमें लिख भेजिए "merapadrauna@gmail.com" पे।