Monday, August 3, 2020

सेठ घनश्याम दास खेतान बाल विद्या मंदिर के किस्से

कक्षा ७ की बात है| 
मैं और प्रभाकर अपने हाइट के हिसाब से सबसे आगे वाली बेंच पे बैठते थे | गुप्ता सर की अंग्रेजी की क्लास चल रही थी | 
सरजी को प्यास लगी तो बोले "जाओ दाई को बोल दो पानी ले आये पीने के लिए" | 
मैं भाग के गया और दाई को बोलकर वापिस आ गया और अपनी सीट पर बैठ गया | 
फिर मैंने प्रभाकर को कहा "देखना सरजी अभी छौ गिलास पानी पिएंगे" 
प्रभाकर ने कहा "नहीं जी सात गिलास पीते हैं "| 
फिर फाइनल हुआ चलो गिन लेते हैं आज 
इतनी देर में दाई पानी लेकर आ गयीं सिलसिला शुरू हुआ गिलास पे गिलास का सरजी जैसे जैसे पानी का गिलास ख़त्म करते जा रहे थे, हम दोनों साथ साथ सुर में सुर मिलाते हुए गिनते जा रहे थे 
एएएएएक 
दोओओओओ 
तीइइइनननन 
चाआआरररर 
पाँआआआचचच 
छौऔऔऔ 
और ये साततततत 

और जैसा कि मैंने पहले बताया, कि हाइट के हिसाब से हम दोनों छोटे बालक सबसे आगे वाली बेंच पे बैठते थे | हाइट के जैसे ही बुद्धि भी कम ही थी हमारी शायद | हमारी बेंच और सर जी की टेबल के बीच कुछ दो हाथ का ही फ़ासला रहा होगा | और सर जी ने हमारे सारे सुर लय ताल सुन लिए थे | 
उसके बाद असली संगीत शुरू हुआ,  सर जी के हाथ का डस्टर और हमारी पीठ का जो मिलन हुआ वो भूले नहीं भूलता है | 
और हम दोनों सिर्फ यही कहते रहे "अरे सरजी अब नहीं अब नहीं" 

आपका भी हो कोई किस्सा तो हमें लिख भेजिए "merapadrauna@gmail.com" पे।

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